शुक्रवार, 26 सितंबर 2008

राहुल का पंजाब दौरा....पहला दिन..

सफेद कुर्ता, चेहरे पर मुस्कान, आंखों में सादगी, और चाल वही एक सधे हुए नेता की......कांग्रेस के राजकुंवर यानी राहुल गांधी की कुछ ऐसी ही शख्शियत है......राहुल को जब जब हमारे देश के लोगों की याद सताती है.....वो निकल पड़ते हैं बेफिक्र होकर.....फिर किसी का डर नहीं होता.....महलों में रहने वाले इस राजकुमार का......बीते दिनों कुछ ऐसा ही एक बार तब हुआ......जब राहुल ने पंजाब का तीन दिवसीय दौरा किया.......तारीख 22 सितंबर 2008.....दिन सोमवार.....जगह फतेहगढ़ साहिब.....इस धरती पर कदम रखते ही राहुल ने उन तमाम कड़वाहटों को दूर कर दिया......जो देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की करीब 57 बर्ष पहले की यात्रा में सामने आई थीं.......लोग पहली ही नज़र में राहुल बाबा के कायल हो गए........याद दिला दें वो दिन जब नेहरू एक मेले में यहां शिरकत करने आये थे......तो मास्टर तारा सिंह समेत अनेक सिख नेताओं ने तत्कालीन केंद्र सरकार के कथित पंजाब विरोधी रवैये को लेकर प्रदर्शन किया था........ इसके बाद से नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य फतेहगढ़ साहिब नहीं पहुंचा था.........लेकिन राहुल गांधी ने फतेगगढ़ पहुंच कर तमाम गिले शिकवों को आखिर दूर ही कर दिया.....लोग राहुल से एक बार हांथ मिलाने को बेचैन थे.....वहीं अमृतसर पहुंचते ही राहुल गांधी ने सोमवार सुबह आम श्रद्धालुओं के साथ स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका.......सफेद कुर्ता-पायजामा पहने और पीले रंग का पटका बांधे राहुल ने लंगर भवन की पंगत में बैठकर ‘प्रशादा’ भी ग्रहण किया.........झक सफेद कुर्ते में राहुल महलों के किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहे थे........यहां भी राहुल ने सभी से बेहद आत्मीयता के साथ मिलकर लोगों का दिल जीत लिया.......दोपहर का समय .....जगह अमृतसर का जलियावालां बाग.......वही बाग जिसमें कभी जर्नल डायर के एक आदेश ने देश के कई लोगों को खो दिया था........औऱ इन्ही को याद करना नहीं भूले थे राहुल.........ऐसे ही आगे बढ़ते गया मां सोनिया का दुलारा.....इसी दौरान कुछ पल नौनिहालों के साथ भी बिताये.......जिनसे मिलकर उन्हें अपना बचपन याद आ गया..........आखिर सभी का दिल जीतने आये थे राहुल.....वहां की बस्ती पठाना में राहुल बच्चों के साथ जब मिले तो अपने बचपन की यादों में खो गए.......पहली कक्षा के मनमोहित सिंह से राहुल ने पूछा कि वह पढ़-लिख कर क्या बनेगा, तो जवाब मिला- एअरफोर्स में जाऊंगा........यह सुनकर राहुल मुस्कुरा दिए....... राहुल का तो स्वाभाव ही बच्चों से दोस्ती वाला रहा है...... और शायद यहीं सारी वजह हैं कि लोग पहली ही नजर में राहुल की सादगी के कायल हो जाते हैं ।

2 टिप्‍पणियां:

रूपाली मिश्रा ने कहा…

अगर आप अपना फोन्ट का रंग हल्का रखें तो यह पढ़ने में आएगा और पढ़ा जा सकेगा मै बिना पढ़े ही टिप्पणी लिख रही हूँ

Unknown ने कहा…
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