बुधवार, 1 सितंबर 2010

अहिर चाहे पिंगल पढै़........

कई दिन बिस्तर पर बिताने के बाद खुराफाती कलम आखिर बंदिशों से मुक्त हुई, और चंचल मन कुछ खुराफात करने को बेताब हो उठा। विचार आया कि कुछ लिख दिया जाए। क्या लिखूं ये बड़ा सवाल था? पिछले कई दिनों से एक चाटुकार बॉस की तानाशाही से आजिज़ था, इसलिए बॉस पर व्यंग ही सबसे उम्दा विषय सुझाई दिया। तो चलिए बगैर सुस्ती दिखाई आपको मस्ती में डुबो देता हूं।
शक्ल पर बजे 12 और शरीर पर बजे 24, टी.वी. की दुनिया में टी.बी.(ट्यूबर कुलोसिस) के मरीज की शक्ल को मात देता कुछ ऐसा ही चेहरा है हमारे दफ्तर में मौजूद एक बॉस का। कुंठा के मैले नाले से सराबोर उस बॉस की बदौलत दफ्तरी माहौल में एक नकारात्मक प्रभाव घुला सा नज़र आता है। जीर्ण शीर्ण अवस्था में चैनल के अंदर उसकी मौजूदगी हिरोशिमा नागासाकी के पीड़ितों की याद दिलाती है। तो वहीं महीनों से न धुले कपड़ों का चीकट आवरण दक्षिणी ध्रुव पर बने उन इगलू आवासित (बर्फ से बने मकान) लोगों की याद दिलाता है जिन्हें सालों स्नान ध्यान की आवश्यकता नहीं होती। अगर बॉस दफ्तर में कभी जुराब उतारकर बैठ जाए तो समझिए भोपाल गैस त्रासदी की तरह एक और हादसा दफ्तर में भी हो जाए। जुराबों की सड़ांध इस कदर समाचार कक्ष में घुल जाती है कि लोगों को कक्ष से बाहर भागना पड़ता है। अपने ऐसे ही कैरिकुलम की बदौलत बॉस दफ्तर में चर्चिल की तरह चर्चित रहता है। समीकरण अब कुछ यूं बनता है कि बॉस देश की जनसंख्या में नहीं बल्कि देश की समस्या में आता है।
उसके चेहरे पर भावों का अभाव साफ बताता है कि बाढ़ के बाद का तनाव प्रभावित शहरों में ही नहीं बल्कि उसके हमेशा फूले रहने वाले चेहरे पर भी मौजूद रहता है। जिसे देखकर कोई भी मौसम विज्ञानी बड़ी आसानी से भविष्य में होने वाले घटनाक्रम का अंदाज़ा लगा सकता है। विशेषताओं को दबाती उसकी खामियां ही उसकी खूबी हैं, जिनकी बदौलत उसने रिशेप्सन से होकर बड़ी मैडम के केबिन तक गुजरने वाले रास्ते को शीश झुकाऊ प्रणाली के माध्यम से पार कर लिया है। और यही उसकी विशेषता है। जहां कोई नहीं जा पाता वहां वो आधार से 45 डिग्री के कोण पर अपने सर को झुकाकर पहुंच जाता है। उसकी साधारण लंबाई इस प्रकार के झुकाव में उसकी खासी मदद करती है। अपनी इसी विशेषता की बदौलत लुगदी साहित्य के माहिर उस बॉस का संकुचित सीना गर्व से चौड़ा रहता है।
दो बजे की पाली में चार बजे दफ्तर की सीमा में उसका प्रवेश साफ इंगित करता है कि वो मैडम से सीधे टच में है। ऐसा जान पड़ता है कि मैडम को उसकी काफी आदतें पसंद हैं, जैसे-शीश झुकाऊ प्रणाली, जी मैडम-जी मैडम, हाथ जोड़ू तकनीक, गुदा के ठीक विपरीत दिशा में बंधे हुए हाथों की तकनीक, और दिवालिया दारुण चेहरा तकनीक आदि-आदि। मैडम की मुखबिरी करने वाले इस बॉस रुपी यस मैन ने दफ्तर के हर कोने में जाल बिछा रखा है। इस जाल के फंदे में जैसे ही कोई छोटी-मोटी कर्मचारी रुपी मकड़ी फंसती है, वैसे ही बॉस एक एसएमएस के द्वारा मैडम तक खुराक की खबर पहुंचा देता है, और त्वरित गति से मैडम रुपी बड़ी मकड़ी उस अदने को अपना शिकार बना लेती लेती है, ये एक ऐसी आहार श्रृंखला है जिसका शिकार कई लोग हो चुके हैं।
संगठन में उसकी इस प्रकार की गाथाएं लिखने का तीन साल से ज्यादा का इतिहास हो चुका है। जो अब तक बरकरार है। बॉस के मन में कब क्या चल रहा है किसी को पता नहीं, ठीक वैसे ही जैसे किसी गुप्त रोगी के शरीर की बीमारी का पता किसी को नहीं चल पाता, हक़ीम ही जानता है कि गुप्त रोगी आखिर शरीर के किस आपत्तिजनक रास्ते का इलाज करवा रहा है। वो भी तब जब हक़ीम को पूरी बात तफ़्सील से बताई जाए। लेकिन ये बॉस निहायत ही सूम किस्म का इंसान है, इसको पता है कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी, इसलिए बिना हाजमोला के ही बातों को निगल जाता है। बातें शेयर करने का डेयर उसके भीतर कतई नहीं। बस कुर्सी पर बैठकर हाथ में मोबाइल लेकर एक प्रकार की खुड़पैंच करता रहता है। सभी को पता रहता है कि ये खुड़पैंच सीधे डिजिटल संदेशों के माध्यम से बड़ी मैडम तक प्रेषित की जा रही है। ये एक ऐसा प्रेषण (consignment) है जिसके कमीशन के रुप में बॉस को मैडम के बाप से मिलता होगा 10,000 प्रतिमाह मैसेज का फ्री बाउचर। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि मैडम के अब्बा हुजूर से मिला ये कमीशन रुपी बाउचर बॉस की महिला मित्र को लेटनाइट तंग करने और मैडम का सूचना तंत्र मजबूत बनाने के काम आता होगा। यक़ीनन ऐसा था भी, क्योंकि डिजिटल संदेशों की सुपरफास्ट आवृत्ति देखकर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है कि सूचनाओं की आवाजाही कहां तक हो रही है। मजे की बात तो ये है कि कई बार मैडम की ओर से आए संदेश लोगों के लिए भय का प्रतीक बन जाते हैं,जिन्हें दिखाकर बॉस छोटे मोटे कर्मचारियों की जान हलक में डाल देता है। महज़ तीन अर्दलियों के गुट का नेतृत्व करने वाला बॉस अपने आप को ऐसा समझता है जैसे नेपोलियन की तरह वो तीस हज़ार सैनिकों का नेतृत्व कर रहा हो। लेकिन सच यही है कि वो बंदर के खौंखियाने मात्र से डर जाता है।
निहायत ही कायराना प्रवृत्ति के इस बॉस के पास एक मोटरसाइकिल भी है, जो निश्चय ही देखने से युगांडा के ई-कचरे की समस्या जैसी लगती है, हॉर्न छोड़कर बाइक का हर पार्ट बड़े ही करीने बजता है, किश्त भुगतान पद्धति के बाद से बाइक ने शायद ही कभी सर्विस सेंटर का मुंह देखा हो? इस बॉस की एक और आदत है दूसरों के कार्य का क्रेडिट खुद ले उड़ना। और पिछले तीन सालों से ये इस कार्य को बखूबी अंजाम दे रहा है, झूठे रसूख के ठर्रे की मदहोशी इसके पाखंडी होने का अहसास हमेशा कराती रहती है।
सुकरात की तरह दिखने वाला ये बॉस ज़हर पीता नहीं बल्कि लोगों के लिए ज़हर की व्यवस्था करता है। दुनिया पर राज करने की जो समस्या अंग्रेजों के साथ रही वही समस्या इसके साथ भी है, लोगों में फूट डालकर ये बॉस अपने आप को डलहौजी समझता है। और खुद को एक निरंकुश प्रवृत्ति के चैनल का राजा समझता है, हालांकि ये एक ऐसा राजा है जिसे गद्दी कभी हासिल ही नहीं हुई। लेकिन फिर भी रहमो करम पर जीने की आदत ने इसकी आउटपुट हेड बनने की जिजीविषा को आज भी जीवित रखा है।
अपने आप को चैनल का एक प्रतिष्ठित और बेहद व्यस्त कर्मी सिद्ध करने के लिए ये अपने मित्रों तक को चैनल के बाहर दो-दो घंटे इंतज़ार करवा देता है। इस दौरान एक दूत को दोस्तों के पास भेजकर ये बात कहलवा देता है कि बॉस अभी मैडम के साथ मीटिंग में हैं, जबकि उसके दोस्त भी ये बात जानते थे कि ससुरा बेवकूफ बना रहा है, क्योंकि जब भी बॉस के दोस्त आते, तो बॉस की तरफ से एक ही संदेश भिजवाया जाता कि थोडा़ इंतज़ार करो, बॉस अभी मैडम के साथ मीटिंग में हैं।
आधार से 45 डिग्री तक झुकाव की नीति को अपनाने वाले इस बॉस के एक डायलॉग से लोग काफी खौफ खाते हैं, और वो डायलॉग है नौकरी खा जाऊंगा, उसके इस डायलॉग से लगता है कि जिस प्रकार से सूरदास बचपन से आंखों के लिए तरसते रहे, वैसे ही बॉस बचपन से लोगों की नौकरी खाने के लिए तरस रहा है। इस बात का खौफ लोगों में इसलिए भी था कि पूर्व में उसकी षडयंत्रकारी नीतियों की बदौलत दो चार लोग नौकरी से हाथ धो बैठे थे, और यही बॉस की पिछले तीन सालों में सबसे बड़ी उपलब्धि थी। इन्हीं कारणों की बदौलत परेशान कर्मचारियों ने एक लंबे शोध के बाद उसके कई निक नेम रख दिए, जैसे- मोसाद(एक खूफिया जांच एजेंसी), खड़कसिंह, फ्राइड राइस, बुरी आत्मा, मैसेज मैन आदि आदि। ये सभी नाम उसके व्यक्तित्व के निखार को आधार मानकर रखे गए है। अब लोग अपनी भड़ास उसी के सामने उसके निकनेम के माध्यम से निकाल लेते हैं, और बॉस ये समझता है कि लोग किसी और का तियापांचा कर रहे हैं।
तो मित्रों बॉस पर व्यंग का ये एक सत्य घटनाओं पर आधारित किस्सा था, बचिएगा ऐसे अकर्मण्य बॉस से, क्योंकि इनका काम आप जानते ही हैं, ये चाटुकारिता और तानाशाही की दुनिया में तो झंडा बुलंद कर सकते हैं, लेकिन ईमानदारी की दुनिया में इनके लिए कोई जगह नहीं। वैसे भी तानाशाही ज्यादा दिन की नहीं होती, हिटलर भी मारा गया, और सद्दाम भी। अब तेरा क्या होगा बॉस ? क्योंकि सच ही कहा गया है “अहिर चाहे पिंगल पढ़ै, तबहुं तीन गुण हीन, खइबो, बुलिबो, बैठिबो लयो विधाता छीन”.....

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बेटा बहुत ही उम्दा लिखे हो...लेकिन इस ससुरे का एक नाम तो तुम भूल गए...वो नाम है,,,,पिस्सू कालिया,,,

और तुम जानते ही हो हम कौन हैं...

बेनामी ने कहा…

डियर अनुपम... कैसे हो...तुम्हारा लेख पढ़ा... काफी पीड़ित हो.... ऐसा जान पड़ा... लेकिन दोस्त... दुनिया में अधिकतर लोग तो ऐसे ही होंगे.. जिनकी आदतें पसंद नहीं आ सकती... लेकिन जब आप समाज में घुसते हैं तो इसका दूसरा मतलब यही होता है कि आप हर दूसरे के साथ समझौता कर रहे होते हैं... चीजों को दिल से मत लो... जॉब को रोज की होने वाली चीजें समझो... हां एक बात और... कहा जाता है कि आप जिसकी तारीफ में कसीदें पढ़ रहे होते हैं चाहे वो निगेटिव सेंस में ही क्यों न हो... दरअसल आप उसका प्रचार ही कर रहे होते हैं... just take easy... this is called practical life.. but the thing is that u r getting experience... bitter experience... हो सके तो किसी लड़की से प्यार कर लो... थोड़ी कोमल भावनाएं पनपेंगी... जिंदगी थोड़ी पुराने गानों जैसी लगेगी... हाजमा और स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहेगा।
धीरज

बेनामी ने कहा…

भाई अनुपम मजा आ गया, तुम्हारे बॉस की महिमा का वर्णन पढ़कर, क्या सजीव चित्रण किया है पढ़ते- पढ़ते आंखों के सामने हूबहू चित्रण हो आया....किलसू वाकई खतरनाक है लेकिन इस ऑफिस में उसके भी गुरू हैं तभी तो आज तक वो अपने सपने को साकार नहीं कर पाया....तड़प-तड़प कर शरीर खराब कर रहा है......

बेनामी ने कहा…

ANUPAM JI,jaha tak aapko janne ka sawal hai to mai aapko janta to nahi, lekin itni kam umra me is tareh ka lekhan aapke ujjawal bhavishya ka sanket hai, vyang vidha me aap mahir khiladi sabit ho sakte hai, rahi baat boss ki to aisi gandgi har jageh aapko milegi, bhavishya me aap se jaroor mulakat hogi...jai sri krishna...Vidrohi

बेनामी ने कहा…

ग्रेट भईया..लेकिन क्या करेंगे शायद..इसे ही प्रोफैशनलिज्म कहते हैं जो हममें नहीं हैं...वैल...लेकिन ये भी सही है है की बकरे की अम्मां कब तक खैर मनाएगी...

Unknown ने कहा…

nice

बेनामी ने कहा…

ये बातें अपने आजाद न्यूज के चमचे प्रमोद यादव के लिए लिखी हैं कुछ कुछ समझ में आ रहा है ,वैसे भी अब उसे तान्या ने आउटपुट का चपरासी बना डाला है बेचारा तान्या की डांट को छोटे कर्मचारियों पर झाड़कर भड़ास निकालता रहता है चिरकुट......बेचारा प्रमोद यादव उर्फ तान्या का चमचा.............