शनिवार, 5 जून 2010

हलाल हो गई कसक

तुम्हारी कसक मेरे घावों पर लगी उस बैंडेड की उधड़ी पैबंद है जहां से झांकता मेरा घाव अब लोगों को भी नज़र आने लगा है। ये घाव कभी सी नहीं सकेगा कोई, तुम्हारे अहसासों की पुलटिस (मरहम) बार-बार इन घावों को हरा करती रहेगी, ये टीस हमेशा उठती रहेगी। बार बार आवाज़ आएगी, तुम मतलब परस्त हो। मैं तुम्हें जीत तो न सका, लेकिन तुम मेरी हार पर हमेशा हंसते गए। तुम्हारी उस हंसी में आत्म सुख की अनुभूति दिखाई देती है मुझे। शायद तुम्हारा आत्मसुख मेरी हार से ही जीवित है। मैं हर बार हारुंगा ऐसा नहीं होगा। जीतने आया था, जीत कर जाऊंगा। मेरी इच्छाएं नेपोलियन के साहस से भी ऊंची हो जाती हैं, जब मैं इस खेल में अपने आप को हारा हुआ महसूस करता हूं। कभी न झुकने का साहस मेरी खुद्दारी है। हो सकता है कि मैं थोड़ा सा नरम हुआ हूं, लेकिन झुका कभी नहीं। तुमने शायद इसी नरमी को गले लगाकर जीत का हार पहन लिया हो। लेकिन मैं अपनी हार से ऊपर उठ जाऊंगा, तुम्हें हराकर जाऊंगा। तुम्हारे साथ के अहसासों में मैने अपने आप को कहीं खो दिया था। लेकिन अब निष्ठुर हो चुका हूं। कहीं खोने नहीं दूंगा अपने आप को । अब साधा हुआ तीर चिड़िया की आंख पर ही लगेगा। मेरे दरीचे का जो शामियाना तुम्हारे तूफान से उखड़ गया था, वो अब फिर लग चुका है। फिर बहार उस शामियाने को अपने आगोश में लेने वाली है। तुम्हारी हर मीठी छुअन अब चुभन बन चुकी है। पोटेशियम साइनाइट बनते जा रहे हो तुम मेरे लिए, मैं तुम्हें सिर आंखों पर बिठाता गया, और तुम चंदन पर लिपटे सांप की ही तरह मेरे तन को डसते चले गए।तुम खुद्दार हो किसी के लिए ये तो मैं नहीं जानता, लेकिन तुम्हारी गद्दारी ने मुझे खूब सिखाया है। वक्त बदल चुका है, राहों के कांटे अब पुष्प बन चुके हैं। तुम्हारी याद करके इन लम्हों में और ज़हर नहीं घोलना चाहता। तुम्हारे सुख की कामना करता रहूं, अब शायद ये भी न हो पाए मुझसे। अगर तुम व्यस्त हो, तो मैं तुमसे ज्यादा व्यस्त हूं। मेरी जीवनी में तुम एक ऐसा चरित्र बन बैठे थे, जो मुझे हमेशा कमज़ोर करता रहा। अपनी इसी कमज़ोरी से निपटने का उपाय ढूंढ लिया है मैने। जाओ चले जाओ कहीं दूर, जहां से न मैं तुम्हारी आवाज़ सुन सकूं, और न ही तुम्हें देख ही सकूं। तुम एक बेरहम कातिल हो, तुमने मेरे शरीर का कत्ल तो नहीं किया। लेकिन मेरी आत्मा और मेरे अहसासों को हलाल जरुर कर दिया। अब वो अहसास कभी जीवित न होंगे। जाओ किसी कण में अब तुम्हारी शक्ल मुझे दिख जाए न कहीं। मेरी कसक की हलाली करने वाले ऐ दोस्त तुम्हारी गुमशुदगी अब कभी तलाश न हो सकेगी।

15 टिप्‍पणियां:

Yogesh Sharma ने कहा…

bahut badhiyaa post

Udan Tashtari ने कहा…

आह!! बढ़िया भावाव्यक्ति!

Shekhar Kumawat ने कहा…

bahut khub



फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

Rakhee ने कहा…

'अगर तुम व्यस्त हो, तो मैं तुमसे ज्यादा व्यस्त हूं। मेरी जीवनी में तुम एक ऐसा चरित्र बन बैठे थे, जो मुझे हमेशा कमज़ोर करता रहा। अपनी इसी कमज़ोरी से निपटने का उपाय ढूंढ लिया है मैने।'... best lines
congrts...

ambrish singh ने कहा…

दोस्त लिखा तो बहुत अच्छा है, बहुत ही बड़िया लिखा है... लेकिन कौन है वो बेरहम, जिसने तुम जैसे सच्चे इंसान को झकझोर दिया है, कौन है वो शैतान जिसने तुम्हारा दिल दुखा दिया...खैर वो जो भी हो लेकिन उसे जब तुम्हारे जैसे सच्चे इंसान की कद्र नही, सच्चे इंसान को परखने की काबलियत नही, तो उसे इस दुनिया बहुत ही ब्रेकर मिलने वाले है...यकीन मानो जो उसकी रफ्तार को जरूर धीमा कर देगे...जिस तेज रफ्तार की खातिर यदि उसने ऐसा किया है तो...

Brajdeep Singh ने कहा…

kya keh diya hain ,jham macha diya hain janab ,itna jabardat likha hain aapne bfa ko ke unki bebfai fiki pad gyi ,lga doob jaye hum gam ke samndar main apke saath aur keh de is jaalim dil se kehlne waalo ko ke ab hum man jitni gehrai mian ja chuke hain ab oopri dhakoslo ka hum par kuch asar nahi hhota hain
jabardast

बेनामी ने कहा…

बहुत आगे जाओगे

Unknown ने कहा…

बहुत खूब....शानदार शब्दों का चयन किया है....लाइने जबरदस्त हैं और उस पर लेख तनम्यता मजा आ गया

yun hi ek khayal mein ने कहा…

बेवफा से वफा की उम्मीद ठीक नहीं रहती...लेकिन सच्चे लोगों को ही ये शक्ल देखने को नसीब होती है...दिल लगी करने वालों को क्या पता कि कितना नशा है किसी के दीदार में और सच्चे प्यार में.............
बंधु बहुत ख़ूब लिखा है हमेशा की तरह... तारीफ़ तो ज़ाया होगी तुम्हारी करना...

Tara Chandra Kandpal ने कहा…

Lovely!!!

dragon ने कहा…

कसम से रायता, झाम, बवाल, सवाल, कमाल, सब कुछ मचा दिए हो। कसम से साला बवाल लिखे हो भाई बस तुम्हारा हाथ चूमने का मन कर रहा है।

तुम्हारे इस लेख से प्रेरित होकर ये चार लाइनें मैंने भी लिख दी हैं। हां..छिनैती की नहीं है।

अब तो ये आलम है कि मैं दोस्त बनाने से डरता हूं...क्योंकि ऐ दोस्त...तेरी इसी दोस्ती से डरता हूं...शायद दूध का जला हूं ना...इसलिए छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता हूं...।

Punity Dwivedi ने कहा…

Beautiful...God bless you.

nitesh sinha ने कहा…
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Nitesh Sinha ने कहा…

"i wanted to kill the hottest person in this world...then i know there were law against suicide"
कुछ ऐसी ही तमन्ना की जरुरत होगी अब..
जब तेरे पास ये भी नहीं और वो भी नहीं...
लेकिन तू ही है वो लख्ते जिगर..
जहां ये भी है और वो भी है...
लाजवाब मेरे भाई

Nitesh Sinha ने कहा…
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