सोमवार, 6 सितंबर 2010

नाक का सवाल

इंसान से लेकर जानवर तक की भौतिक संचरना में नाक का स्थान काफी महत्वपूर्ण है, सूंघने के सुख से लेकर छींकने के सुख तक नाक ने अपनी महत्ता को ऐसे दर्शाया है जैसे आगरा में ताजमहल ने अपने आप को। चेहरे पर नाक की उपस्थिति दिल्ली के कुतुबमीनार का अहसास कराती है। कई वन्य जीवों के लिए नाक उनके शिकार का माध्यम बनती है। ये कहा जा सकता है कि उनकी जो जून की जुगाड़ नाक आधारित होती है। अगर नाक न हो तो उन्हें लंघन (व्रत) करना पड़ जाए।
पुराणों में भी नाक की महिमा का बड़ा ही विशद वर्णन किया गया है। शूर्पनखा की नाक न कटती तो राम की विजय और रावण की हार न होती। ये नाक की ही लीला थी जो लक्ष्मण, रावण की बहिन को नकटा कर बैठे, शूर्पनखा राम के साथ रंगरेलियां मनाना चाहती थी, जबकि लक्ष्मण के लिए यही बात नाक का सवाल थी, एक झटके में गुस्सैल लक्ष्मण ने शूर्पनखा की नाक को हमेशा-हमेशा के लिए उसके सुंदर मुखड़े से जुदा कर दिया। अब जब कि लक्ष्मण ने अपनी और अपने भाई की नाक की बदौलत शूर्पनखा की नाक शहीद कर डाली तो ये बात भला रावण की नाक के लिए कैसे सवाल न बनती। अहंकारी रावण चल दिया राम के साथ सीतमपैजार करने। नाक का सवाल तो सभी के लिए बराबर ही है फिर चाहे वो राम हो या रावण। अब सीता के अपहरण मामले में रावण की खोज एक बार फिर राम के लिए नाक का सवाल बन गई। दोनों की नाक चूंकि अपने अपने समाज में बेहद ऊंची थी, इसलिए नाक के बचाव के लिए दोनों एक दूसरे के प्राण हरने को आमादा थे। अब जबकि बात राम और रावण चल रही है तो भला सु्ग्रीव, बाली, अंगद और हनुमान जैसे चरित्रों को कैसे भूले, इन सभी ने अपनी अपनी नाक के सवाल की रक्षा हेतु शोणित की नदियां बहा डालीं। अथक प्रयासों से और नाक के सवाल ने क्षत्रीय कुल की जैसे- तैसे लाज बचा ही ली, तमाम सीतमपैजार के बाद जब सीता घर लौटीं तो राम के नाक का सवाल बन गई सीता जी की इज्जत, जिसकी खातिर लव कुश की महतारी को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी। वाह री नाक हो तो भी मुसीबत, न हो तो भी मुसीबत।
द्वापर युगीन यदुवंशी के लिए भी कंस नाक का सवाल था, लिहाज़ा महज़ 12 साल की ही आयु में किसन जी को अपने मामा के रक्त से हाथ लाल करने पड़े। यहां भी नाक ने ही युद्ध करवा दिया । इस बात से ये बात भी साबित होती है कि नाक के सवाल के जवाब ढूंढो तो युद्ध हो जाता है। दो देश आपस में भिड़ जाते हैं। जैसा कि मैं पहले ही इंगित कर चुका हूं, कि नाक चाहे किसी की भी हो उसके अहंकार का प्रतीक होती है। अगर किसी भिखारी से भी ऊंचे स्वर में बात की जाए तो, और भिखारी थोडा़ भी स्वाभिमानी हुआ, तो नाक के सवाल की खातिर वो आपकी इज्जत का भी फालूदा कर सकता है।
गणेश जी और शंकर जी की कहानी भी शायद आपको याद ही होगी, एक बार गणेश जी की अम्मा यानी पार्वती जी स्नान ध्यान में तल्लीन थी, लिहाज़ा द्वार पर ताका-झांकी से बचाव हेतु गणेश जी को पहरेदार के रुप में खड़ा किया गया था, इतने में कैलाश पर्वत पर भड़ैती फाने भगवान शंकर वहां आ पधारे, वो पार्वती से मिलना चाहते थे, लेकिन गणेश अवरोध उत्पन्न कर रहे थे, दोनों में काफी हील-हुज्जत हुई, लेकिन कोई टस से मस न हो। क्योंकि यहां भी दोनों की नाक का सवाल था, इसलिए दोनों में काफी तूतू-मैंमैं हुई, फैसला कुछ हो पाता इससे पहले ही गुस्सैल कैलाशी ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। ऐसे मौके पर पार्वती का हाल भी वैसा ही हुआ जैसा भारतीय पुलिस का, जो हमेशा देर से पहुंचती है, यहां पार्वती जब तक पहुंचीं तब तक गणेश जी खूना खच्चर हो चुके थे, अब पार्वती को शंकर जी पर गुस्सा आया, अब उनमें तूतू-मैमैं शुरु हो गई, निर्णय ये निकल कर आया कि अब गणेश जी के सिर की व्यवस्था की जाए। इसी व्यवस्था के साथ एक बार फिर शंकर जी के लिए नाक का सवाल सामने निकल कर आया, खैर जैसे तैसे शंकर जी की असीम अनुकंपा से एक हाथी के सिर की जुगाड़ कर ली गई, जिसे गणेश जी के धड़ में फिक्स कर दिया गया, जो आज भी हम कैलेंडरों में देख सकते हैं, कैलेंडर देख कर याद रखिएगा कि ये सिर किसी की नाक का सवाल था।
धर्मयुग पर चलते-चलते थोड़ा अधर्मी युग की ओर भी चलिए, जहां खाने को रोटी नहीं लेकिन फिर भी नाक का सवाल हर किसी की नाक पर रखा रहता है। चने वाले ने चने में प्याज थोड़ी कम डाली तो ये बात ठाकुर वीर सिंह ने अपनी आन पर लेते हुए, उसके ही चाकू से उसकी नाक काट डाली, और उसे शूर्पनखा का मर्दाना रुप दे डाला। भला हो लुच्चे रस्तोगी का, जिसको ये बात नागवार गुजरी कि किसी ने उसके पीछे से उसे चिढ़ाने के लिए सीटी बजा दी, ये बात लुच्चे रस्तोगी के लिए नाक का सवाल बन गई, और उससे सीटी बजाने वाले को गरियाना शुरु कर दिया, ये बात और है कि बाद में पिटाई उसी की हुई। और नाक का सवाल करते करते सरे आम उसकी नाक बगैर खूना खच्चर हुए कट गई। हमारे मोहल्ले में लल्लन बाबू की नाक के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि मोहल्ले में बंदर दिख न जाएं। क्योंकि जहां बंदर दिखेंगे वहां लल्लन बाबू भी दिख जाएंगे। लल्लन और बंदरों के बीच की ये दुश्मनी चोर सिपाही की दुश्मनी जैसी है। और इस दुश्मनी के बीच जो सबसे बड़ी बात जुड़ी है वो भी नाक से ही ताल्लुक रखती है। लल्लन चाहते हैं कि बंदर मोहल्ले से निकल जाएं और बंदर चाहते हैं कि लल्लन इस मोहल्ले से निकल जाएं। रोज़ इस बात की जंग होती है, लेकिन सच यही है कि पिछले तीस सालों का इतिहास आज भी बदला नहीं है, न लल्लन ने ही बंदरों के भय से मोहल्ला छोड़ा और न ही बंदरों ने लल्लन के भय से। उनकी नाक का सवाल आज भी सवाल ही है?
उत्तरप्रदेश की सत्ता में बहन जी का भी हाल नाक की खातिर कुछ ऐसा हो चुका है, चूंकि यूपी की सत्ता मायावती के लिए नाक का सवाल थी, इसलिए ब्राह्मण ठाकुरों को भी अपने दल में जोड़ने लगीं, जिन्हें पहले वो गरियाया करती थीं, अब उन्हीं को गले लगाती हैं, ये जरुर है कि पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता सुख भोगने के बाद पुन: उनके दल से ब्राह्मण ठाकुरों को लतियाया जाने लगा है। खैर बहिन जी की नाक तो बच ही गई, अब चाहे दूसरों की कटे या बची रहे। सोनिया गांधी के लिए भी हिंदी सीखना नाक के सवाल जैसा था, क्योंकि विपक्ष उनकी हिंदी की खिल्ली उड़ाया करता था, और इस इतालवी महिला को बार बार शर्मिंदा होना पड़ता था, औरत के लिए हया ही सब कुछ है, हया और नाक के सवाल की खातिर सोनिया को हिंदी सीखनी ही पड़ी। और आज हिंदी में ही भाषण देने की बदौलत वो काफी हद तक लोगों को जवाब देने में सफल रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी नाक ने सफलता के झंडे गाड़े हैं, इस मामले में भारत की नाक वाकई कुतुबमीनार साबित हुई है, इंदिरा नुई, लक्ष्मी मित्तल, बॉबी जिंदल आदि आदि, इन सभी ने विदेशों में सफलता की वो इबारत लिखी कि विदेशियों के लिए ये लोग नाक का सवाल बन गए। तो भइया नाक सवालों की जननी है, या यूं कहें कि सूंघने छींकने के अलावा नाक के पास सवाल पैदा करने का भी एक बड़ा काम है। नाक ने जब-जब जहां-जहां सवाल किए वहां-वहां इतिहास लगभग बदल ही गया। बशर्ते कि सवाल बेक़ायदा न हों। इतिश्री फिलहाल नाक के सवालों को थोड़ा विश्राम दिया जाए। नाक बचा कर रखिएगा।

2 टिप्‍पणियां:

मधुकर राजपूत ने कहा…

यह निबंध नाक की कम और नाक के बहाने रामायण, महाभारत और शिवगाथा की चर्चा ज्यादा करता है। अजीब है नाक पर लिखने की कोशिश में नाक पर नहीं लिखकर आपने अपनी नाक नीची करा ली। आप अगले मजबूत लेख से नाक को संबल दीजिएगा।

Unknown ने कहा…

wah wah.........!!!!