मैं हिंदुस्तान हूं
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
इन सबकी शान हूं
मैं हिंदुस्तान हूं
मेरी धरा ही, मेरी मां है
मेरी अपनी भारत मां
खून से सींची इस धरती पर
नाज़ मुझे हर दम रहता
इस मिट्टी में जन्मे जो
है गर्व उसे हर पल रहता
एक टीस मुझे जब-तब रहती
जब गुलाम भारत था मैं
उखड़ी सांसे
मां की तड़पन
और तड़प, हिंदुस्तां की
याद रहेगी हर पल मुझको
उनकी उस कुर्बानी की
दगती तोप, चली थी गोली
भारत मां की छाती पर
सिसक, सिसक
हर कोई रोता
अपनी मां के आंचल पर
2 टिप्पणियां:
शानदार रचना है । स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई।
अच्छी बाल कविता है किसी अख़बार में प्रकाशित कराओ यार अगले साल, बच्चों बजाओ ताली।
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