रविवार, 4 अप्रैल 2010

सफलता की आतिश

अद्भुत, अदम्य, साहस की परिभाषा
जिससे दूर रहे हमेशा निराशा
घुंघरुओं की तरह बजने की आदत
एक इत्तेफाक़, एक इबादत
हर किसी को कायल कर देना
बगैर तीर के घायल कर देना
लूट ले बगैर कुछ होते हुए भी
पा जाए बहुत कुछ न कुछ होते हुए भी
ज़िंदगी को मिसाल बनाकर
हर लम्हे को तराश कर
जीने की बड़ी चाह
कुछ पाने की की उससे भी बड़ी चाह
औरों से हटकर
देती है जवाब पलटकर
श्याम वर्ण चेहरे पर
अजब सी मुस्कुराहट
बेबाक, बैलौस
उसकी बातों के घुंघरुओं की
बजने की आहट
सतत् बढ़ते कदम सफलता की ओर
छूना चाहते हैं हिमालय का हर पोर
सच और झूठ में उलझते कदम
हर कुछ हासिल करने का दम
विविध उलझनों से जूझती
निरंतर प्रयत्न करती
हाला सी कशिश चेहरे पर
मदहोशी है उसकी निगाहों पर
अंधेरे में जलती लौ सी प्रकाशित
जैसे वो है कोई
सफलता की आतिश, सफलता की आतिश...

3 टिप्‍पणियां:

Amitraghat ने कहा…

बहुत बढ़िया शब्दों का प्रयोग......."

Brajdeep Singh ने कहा…

बहुत जबरदस्त ,झाम मचा दिया हैं गुरुदेव ,लगातार प्रतिदिन विछारो को धेकेला जा रहा हैं ,और दिन पे दिन लगातार ऐसे बढ़ रहे हो ,जैसे चंद्रमा अमाबस से पूर्णिमा की और बढ़ता हैं
वाकई मैं ये ही हैं सफलता की आतिश ,स्कविता पढ़ के मन मैं एक अजीब सी शक्ति का विस्तार अनुभव कर रहा हूँ

dragon ने कहा…

अनुपम जी मुझे ये नहीं पता कि आपने ये पंक्तियां किसके लिए लिखीं हैं, लेकिन जिसके लिए भी लिखी हैं वो नि:संदेह बहुत ही भाग्यशाली होगी....। उससे भी भाग्यशाली आप हैं, जो आपने इतने सुंदर भावों को संजोया है....भगवान आपको बहुत ऊपर तक ले जाए....