मैं हूं एक वृक्ष
देता हूं लोगों को छांव
मुझपर बसते हैं पंछी
बनाकर अपना गांव
चाह नहीं मेरी कुछ भी है
सिर्फ चाहता हरियाली
सर्दी, गर्मी हर मौसम में
मेरा जीवन खुशहाली
लेकिन एक दर्द है मुझको
मत काटो मेरे यौवन को
इतना अहसान करो मुझ पर भी
बख्शो मेरे जीवन को
(पर्यावरण दिवस पर समर्पित ये चंद पंक्तियां, वृक्षों को बचाने की एक पहल है, इस मुहिम में सभी का स्वागत है)
3 टिप्पणियां:
पर्यावरण दिवस की सच्चा संदेश।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सही कह रहे हैं। काटने की जल्दी क्या है? वृक्ष अपनी लकड़ी अपने आप ही दे देते हैं।
घुघूती बासूती
मेरे को समझ में नहीं आता..पेड़ शुरूआती देखभाल के अलावा मांगते ही क्या है,बस देते ही देते है..!इससे सुरक्षित निवेश और कोई नहीं है..फिर भी लोग पता नहीं क्यूँ इन्हें काटना चाहते है...!अपने मददगार को भी भला कोई मारता है....
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