एक बार चीफ प्रॉक्टर ने विद्यालय में लगाया राउंड
लंबा था ग्राउंड
हाथ में डंडा
शक्ल से पंडा
रोबीला चेहरा देखकर
बच्चे सकपकाए
दौड़कर अपनी कक्षाओं में आए
किसी कक्षा में
कुछ बच्चे शोर कर रहे थे
और गालियों से अलंकृत कर रहे थे
चीफ प्रॉक्टर को गुस्सा आया
डंडा हिलाते हुए धमकाया
कि बोलो ये कुर्सियां किसने तोड़ीं
इस लड़के की खोपड़ी किसने फोड़ी
एक लड़का सीट पर तमतमा कर खड़ा हुआ
और बोला
गरुजी, डोनेशन चुकाया है
सीट पर बैठूंगा
अभी तो सर ही तोड़ा है
हाथ पैर तोड़ूगां
उस लड़के की उद्दंडता के पीछे कुछ राज़ था?
शायद किसी टीचर्स का ग्रुप उसके साथ था?
सभी टीचर्स चीफ प्रॉक्टर से खिन्न थे
उस छात्र की विलक्षण प्रतिभा के आगे प्रश्नचिन्ह थे?
एक बार चीफ प्रॉक्टर ने उस लड़के को
अपने ऑफिस में बुलाया
डंडा हिलाते हुए धमकाया
कि इस डंडे से सभी घबराते हैं
और प्रधानाचार्य जी थर्राते हैं
कि इस डंडे से सभी घबराते हैं
प्रधानाचार्य जी थर्राते हैं
लड़के ने हिम्मत दिखाई
ऑफिस में गोली चलाई
फायर हवाई था
वो और कोई नहीं
प्रधानाचार्य जी का चचेरा भाई था....
(नोट –ये कविता सत्य घटनाओं पर आधारित है)
12 टिप्पणियां:
लिखा आपने ठीक है शिक्षक शिक्षा हाल।
सबसे आगे छात्र हैं करते रोज कमाल।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
भाई साहब क्यों इक उदंड के पीछे पूरे छात्र जगत पर प्रश्न चिन्ह लगवा रहें हैं....
चीफ प्रॉक्टर को भी जान समझ कर डंडा हिलाना था, वो तो भला हुआ कि हवाई फायर किया. मंत्री जी का चचेरा भाई होता तो सीधे ही दागता.
yahi sachchaai hai hamaare samaaj ki.jiski laathi uski bhais
आपकी लिखा काफी अच्छी हर कोई शिक्षा के इस गिरते स्तर डर रहा है
nanga kar diya sir!
maza aa gaya
badhai
Bahut badhiya.
Swagat Blog Parivar mein.
(Pls remove unnecessary word verification)
bahut umda rachna hai aapki....
aise hi likhte rahiye..
dande kaa kamaal kalm ke zariye dikhate rahiye...
yahi to hota hai. narayan narayan
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
खूब लय के साथ लिखी है जनाब। कमाल कर दिया। मजा बांध दिया,,,कॉलेज के दिन याद आ गए।
आज आपका ब्लॉग देखा.... बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नये अर्थ, नयी ऊंचाइयां एयर नयी ऊर्जा मिले जिससे वे जन-सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का सार्थक माध्यम बन सकें.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें-
http://www.hindi-nikash.blogspot.com
सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
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